नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका title हैं - इस्लामिक शायरी। हम उम्मीद करते है कि ये पोस्ट आपको अच्छी लगेगी और आप इस पोस्ट कि Islamic Shayari को अपने दोस्तो के साथ शेयर करेंगे।
खूबसूरत रिश्ता है मेरे और खुदा के बीच,
ज्यादा हम मांगते नहीं कम वो देता नहीं।
निखरे हैं रंग सभी मेंहदी के फिज़ाओं मेंये ईद की खुशबू है फैली,
आज इन हवाओं में कल रात जब चाँद उतरा मेरे आँगन मेंसारे जहां के लिए ख़ुशी मैंने माँग ली दुआओं में।
अगर तुम अपने रब पे बहुत भरोसा करते हो तो,
ये भी जान लो कि तुम्हारा रब इस भरोसे को,
कभी टूटने नहीं देगा।
आज खुदा की हम पर हो मेहरबानी,
करदे माफ़ हम लोगो की सारी नाफ़रमानी,
ईद का दिन आज आओ मिलकर करें यही वादा,
खुदा की ही राहों में हम चलेंगे सदा यही है हमारा वादा।
सब कुछ अल्लाह की मर्ज़ी से होता है,
अल्लाह की मर्ज़ी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता।
खुदा का शुक्र है रमजान आया,
मसीहा बनके है मेहमान आया,
मेरी आँखें बिछी हैं उसकी राह मे,
बड़े रुतबे का है सुल्तान आया।
चाँद से रोशन हो रमजान तुम्हारा,
इबादत से भरा हो रोज़ा तुम्हारा,
हर रोज़ा और नमाज़, कबूल हो तुम्हारी,
यही अल्लाह से है, दुआ हमारी।
हम आपको याद करते हैं,
महे रमज़ान में यही फरियाद करते हैं,
बख्शे हर गुनाह ख़ुदा सब के,
बस यही दुआ करते हैं।
अपनी आँखें मूंदो और मेरे मुस्कराते हुए चेहरे को याद करो,
क्या तुमने ऐसा किया?मुबारक हो!तुमने ईद का चाँद देख लिया।
तुम हमारे दिल के करीब हो,
हम से दूर होकर भी अज़ीज़ हो,
दुआओं में याद कर लेना हमें भी कभी,
शायद आपकी दुआ में हमारा नसीब हो।
ना किसी से गिला कर ना किसी से शिकवा कर,
5 वक़्त की नमाज में सिरया के लिए दुआ कर।
खुशिया नसीब हो जन्नत क़रीब हो,
तू चाहे जिसे वो तेरे क़रीब हो,
कुछ इस तरह हो करम अल्लाह का,
मक्का और मदीना की तुझे ज़ियारत नसीब हो।
इंसान का मुक़दर उतनी ह़ी बार बदलता हैं,
जितनीं बार वों अल्लाह से दुआ करता हैं।
वो अता करे तो शुक्र उसका, वो न दे तो कोई मलाल नहीं,
मेरे रब के फैसले कमाल हैं, उन फैसलों पर कोई सवाल नहीं।
तू अगर मुझे नवाज़े तो तेरा करम है मौला,
वरना तेरी रहमतों के क़ाबिल मेरी बंदगी नहीं।
रमदान का चाँद देखा रोज़े की दुआ माँगी,
रौशन सितारा देखा आप की खैरियत की दुआ माँगी।
खाना रोज खाता हूं पानी रोज पीता हूं,
बाजार रोज जाता हूं, मस्जिद 7 दिन में जाता हूं,
और कहता हूं जुम्मा मुबारक भाई।
नसीब वाले ही पाते हैं मौत अल्लाह के घर 🏠 में,
वरना हादसे तो लाख होते हैं दुनिया 🌎 में।
तुम अपने बच्चे को बस नबी की सुन्नत दिखा देना,
वो खुद ही जान जाएंगे तहजीब किसे कहते हैं।
तुम जन्नत न मांगों,
बल्कि तुम दुनिया में ऐसे काम करो,
के जन्नत तुमको मांगे।
जो खोया वो मेरी नादानी, जो पाया वो मेरे रब की मेहरबानी,
तनहाई में ऐसा होता है,
कि अल्लाह बंदे के सबसे पास होता है।
किसी को तख्त-ए-सल्तनत,
किसी को टुकड़े दर-दर के,
ए खुदा तेरी मर्जी है चाहे जिधर कर दे।
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